गौतम बुद्ध की एक प्रसिद्ध कहानी है जो क्रोध और सहनशीलता के महत्व पर प्रकाश डालती है। एक बार बुद्ध एक नगर में उपदेश दे रहे थे, तभी एक क्रोधित व्यक्ति ने उन्हें अपमानित किया। बुद्ध ने शांत रहकर उस व्यक्ति को क्षमा कर दिया, जिससे उसे अपनी गलती का एहसास हुआ और वह शांत हो गया.
कहानी:
एक बार महात्मा बुद्ध एक नगर में उपदेश दे रहे थे.
उनके प्रवचन का सारांश यही था कि क्रोध मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है.
एक व्यक्ति को बुद्ध के उपदेश पसंद नहीं आए और उसने बुद्ध को अपमानजनक बातें कहना शुरू कर दिया.
उसने बुद्ध को पाखंडी कहा और उनकी बातों को झूठा बताया.
बुद्ध ने शांत रहकर सब कुछ सुना और कुछ नहीं कहा.
क्रोधी व्यक्ति और भी क्रोधित हो गया और बुद्ध के मुंह पर थूक दिया.
बाद में, उस व्यक्ति को अपनी गलती का एहसास हुआ और वह बुद्ध से क्षमा मांगने गया.
बुद्ध ने उसे क्षमा कर दिया और कहा कि बीती बातों को भूलकर आगे बढ़ना चाहिए.
नैतिक शिक्षा:
क्रोध से दूर रहें:
क्रोध मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है और इससे खुद को और दूसरों को नुकसान होता है.
सहनशीलता अपनाएं:
सहनशीलता से क्रोध को नियंत्रित किया जा सकता है.
बीती बातों को भूलकर आगे बढ़ें:
अतीत में हुई गलतियों को याद रखना और उस पर चिढ़ना भविष्य को खराब कर सकता है.
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